Just saw the movie Jungle Book with Arul. It was nice :) and he laughed his heart out.
A fun song from a fun movie.
Thursday, September 17, 2009
Saturday, September 5, 2009
हम भी खो गए
वेहम-ओ-गुमान से दूर दूर
यकीन की हद के पास पास
दिल को भरम यह हो गया
उनको हम से प्यार है
Thats how love stories begin...
Some songs I love. I wish they could come without the videos...
This one is from Kagaz ke Phoon written by Kaifi Azmi by Geeta Dutt.
...तुम भी खो गए, हम भी खो गए
एक राह पर चल के दो कदम...
...बुन रहे है दिन, ख्वाब दम-बा-दम...
Then Gulzaar from Masoom. I like Lata's rendition better, but canot find it.
...ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाये
मिले जो हमें धुप मैं मिले छाँव के ठंडे साए...
And Gulzaar again from Aandhi...
And Kaifi Azmi...
क्या ले के मिलें अब दुनिया से, आंसू के सिवा कुछ पास नहीं
या फूल ही फूल थे दामन में, या काँटों की भी आस नहीं
वक़्त है महरबान, आरजू है जवान
फ़िक्र कल की करें, इतनी फुर्सत कहाँ
दौर ये चलता रहे, रंग उछलता रहे
रूप मचलता रहे, जाम बदलता रहे
रात भर महमान हैं बहारें यहाँ
रात गर ढल गयी फिर ये खुशियाँ कहाँ
पल भर की खुशियाँ हैं सारी
बढ़ने लगी बेक़रारी
उड़ जा प्यासे भंवरे, रस ना मिलेगा खारों में
कागज़ के फूल जहां खिलते हैं, बैठ ना उन गुलज़ारों में
नादान तमन्ना रेती में, उम्मीद की कश्ती कहेती है
बिछडे सभी बारी बारी
यकीन की हद के पास पास
दिल को भरम यह हो गया
उनको हम से प्यार है
Thats how love stories begin...
Some songs I love. I wish they could come without the videos...
This one is from Kagaz ke Phoon written by Kaifi Azmi by Geeta Dutt.
...तुम भी खो गए, हम भी खो गए
एक राह पर चल के दो कदम...
...बुन रहे है दिन, ख्वाब दम-बा-दम...
Then Gulzaar from Masoom. I like Lata's rendition better, but canot find it.
...ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाये
मिले जो हमें धुप मैं मिले छाँव के ठंडे साए...
And Gulzaar again from Aandhi...
And Kaifi Azmi...
क्या ले के मिलें अब दुनिया से, आंसू के सिवा कुछ पास नहीं
या फूल ही फूल थे दामन में, या काँटों की भी आस नहीं
वक़्त है महरबान, आरजू है जवान
फ़िक्र कल की करें, इतनी फुर्सत कहाँ
दौर ये चलता रहे, रंग उछलता रहे
रूप मचलता रहे, जाम बदलता रहे
रात भर महमान हैं बहारें यहाँ
रात गर ढल गयी फिर ये खुशियाँ कहाँ
पल भर की खुशियाँ हैं सारी
बढ़ने लगी बेक़रारी
उड़ जा प्यासे भंवरे, रस ना मिलेगा खारों में
कागज़ के फूल जहां खिलते हैं, बैठ ना उन गुलज़ारों में
नादान तमन्ना रेती में, उम्मीद की कश्ती कहेती है
बिछडे सभी बारी बारी
कुछ इश्क किया
कुछ इश्क किया, कुछ काम किया
वोह लोग बहुत खुश किस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से आशिकी करते थे
हम जीते जी मशरूफ रहे
कुछ इश्क किया, कुछ काम किया
कम इश्क के आरय आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आकर हम ने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया
Faiz again...
वोह लोग बहुत खुश किस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से आशिकी करते थे
हम जीते जी मशरूफ रहे
कुछ इश्क किया, कुछ काम किया
कम इश्क के आरय आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आकर हम ने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया
Faiz again...
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